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इसलिए पानी की कमी से बिगड़े हालात:बीते साल हो चुकी थी 68% बोवनी, पानी की कमी से इस साल 57% रकबा खाली

www.bhasker.com | 09-Jul-2021
बारना डेम से धान लगाने के लिए नहरों में छोड़ा जा रहा है पानी, ताकि कुछ हद तक पूर्ति हो सके। किसानों में असमंजस: बारना डेम से छोड़े गए पानी से सिंचाई करें या धान के गड़े भरें बारिश की बेरुखी से जिले में खरीफ की हालत बिगड़ने लगी है। बीते साल 8 जुलाई तक जिले में 68 प्रतिशत रकबे में खरीफ की बोवनी हो चु ...

बारना डेम से धान लगाने के लिए नहरों में छोड़ा जा रहा है पानी, ताकि कुछ हद तक पूर्ति हो सके।
किसानों में असमंजस: बारना डेम से छोड़े गए पानी से सिंचाई करें या धान के गड़े भरें

बारिश की बेरुखी से जिले में खरीफ की हालत बिगड़ने लगी है। बीते साल 8 जुलाई तक जिले में 68 प्रतिशत रकबे में खरीफ की बोवनी हो चुकी थी, जबकि इस साल महज 43 प्रतिशत रकबे में बोवनी हो पाई और 57 प्रतिशत रकबे में पानी की कमी से बोवनी करीब-करीब रुकी हुई है, जबकि खरीफ की बोवनी के लिए 20 जुलाई तक का समय, उचित माना जाता है। उसके बाद देरी से हुई बोवनी से उपज का उत्पादन कम होने लगता है। जिलेे में हालांकि किसान धान लगाने के लिए गड़े भरकर धीरे-धीरे रोपा लगाने कहीं-कहीं काम तो कर रहे हैं, लेकिन सामने ये समस्या खड़ी है कि पहले की जा चुकी बोवनी में सिंचाई करें या धान लगाने के लिए गड़े भरें।
पानी की उपलब्धता भी इतनी नहीं कि वे ये दोनों काम कर पाएं। कई किसान संसाधन की कमी से सोयाबीन हो या धान बारिश के इंतजार में बैठे हैं। यदि रकबे की बात की जाए तो बीते साल 217 हेक्टेयर में खरीफ बोवनी हो चुकी थी, इस बार महज 168 हेक्टेयर में बोवनी हो पाई है। इस तरह से बीते साल 8 जुलाई तक जिले में 50 हजार हेक्टेयर अधिक में बोवनी की जा चुकी थी।
बारना डेम से धान के लिए 800 क्यूसेक पानी छोड़ा

newsजिले में 5 जुलाई को जिला उपभोक्ता समिति के बैठक के बाद बारना डैम से नहरों में पानी छोड़ना का निर्णय लिया गया था, उसके बाद 6 जुलाई को दोपहर में डेम से पानी छोड़ा गया है। बारना परियोजना के कार्यपालन यंत्री एचडी कुमार के मुताबिक डेम से 800 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। छोड़े जा रहे पानी से 18 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की सकती है। यह पानी 10 से 15 दिनों तक चलता रहेगा। यदि अच्छी बारिश नहीं होती तो। बीते साल भी 9 जुलाई को डेम से पानी छोड़ा गया था। कभी रोपा लगाने के बाद तो कभी रोपे लगाने के लिए बीते सालों में बारना डेम से पानी छोड़ा जाता रहा है।

बीते साल 8 जुलाई तक सोयाबीन की 97 हजार हेक्टेयर में यानि 105% बोवनी हो चुकी थी

पिछले साल बोवनी का लक्ष्य 90 हजार हेक्टेयर रखा था, जबकि बोवनी 97 हजार हेक्टेयर में हो चुकी थी, जबकि इस साल भी सोयाबीन की बोवनी का लक्ष्य 90 हजार हेक्टेयर रखा है, लेकिन महज 61 हजार हेक्टेयर में ही हो पाई है जो कि लक्ष्य का 68 प्रतिशत है। इसी तरह बीते साल धान लगाने के लिए 228 हेक्टेयर का लक्ष्य में 102 हजार हेक्टेयर में बोवनी की जा चुकी थी, जबकि इस साल धान के लिए 220 हेक्टेयर के लक्ष्य के विरुद्ध महज 56 हजार हेक्टेयर में धान लग पाई है।

8 सालों में खरीफ के लिए छोड़ा गया बारना से पानी
वर्ष कब छोड़ा पानी
2014 22 जुलाई
2015 24 अगस्त
2016 27 जुलाई
2017 20 जुलाई
2018 28 सितंबर
2019 09 अक्टूबर
2020 09 जुलाई
2021 06 जुलाई
एक्सपर्ट कमेंट: बोवनी 20 जून तक, इसके बाद उत्पादन घटता है

रायसेन के नकतरा कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे के मुताबिक 20 जून तक ही खरीफ की बोवनी के लिए उचित समय माना जाता है। उसके बाद लगाई गई फसल देरी की मानी जाती है और उत्पादन भी कम होता है। धान की फसल फसल 95 से 100 दिन में पक जाती है, जबकि 20 से 25 दिन में पौध तैयार हो पाती है। इस तरह से 120 से 130 दिन का समय लगता है। इसी तरह से सोयाबीन की फसल भी 90 से 95 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
बीते साल से 90.6 मिमी पिछड़ी बारिश

जिले में बीते साल 8 जुलाई तक 348.9 मिमी बारिश हो चुकी थी, जबकि इस साल महज 258 मिमी बारिश ही हुई है। बारिश भी दो से तीन बार ही अच्छी हुई है, जबकि बाकी दिनों में कम ही पानी गिरा है। इसलिए न तो किसानों द्वारा तैयार किए गए गड़ भर पाए और न ही बोई गई फसल को जरूरत के मुताबिक पानी मिल पाया।

बन रहा कम दबाव का क्षेत्र

बंगाल की खाड़ी और अरेबियन सी में कम दबाव का क्षेत्र बनने से 10 से 15 जुलाई के बीच अच्छी बारिश की संभावना बन रही है । बारिश का सिस्टम न बनने में बीच में बारिश रुकी रही याह हल्की ही बारिश हुई है।
पीके साहा, मौसम,केंद्र भोपाल।