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डाटा मिसमैच:39 करोड़ प्रीमियम भरा, मुआवजा लेने गए तो बताया- फसल का बीमा ही नहीं

www.bhasker.com | 18-Mar-2021
1.30 लाख किसान छह महीने से भटक रहे। 2019 में 22 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन खराब हुई थी मप्र तीन दिन पहले हुई बारिश के कारण खराब हुई गेहूं की फसलों का बीमा के लिए सर्वे शुरू हो गया है, लेकिन 2019 में सोयाबीन की फसलें खराब होने से भारी नुकसान उठाने वाले 22 लाख में से 1.30 लाख ...


1.30 लाख किसान छह महीने से भटक रहे।
2019 में 22 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन खराब हुई थी

न्यूज़मप्र तीन दिन पहले हुई बारिश के कारण खराब हुई गेहूं की फसलों का बीमा के लिए सर्वे शुरू हो गया है, लेकिन 2019 में सोयाबीन की फसलें खराब होने से भारी नुकसान उठाने वाले 22 लाख में से 1.30 लाख किसान आज भी मुआवजे के लिए परेशान हैं।

दरअसल, इन किसानों ने खरीफ 2019 का प्रीमियम तो भरा था, लेकिन जब फसल खराब होने का मुआवजा लेने बैंक गए तो उन्हें बताया गया कि उनकी फसल का तो बीमा हुआ ही नहीं था। ऐसा किसानों के डाटा का मिस मैच होने से हुआ। दरअसल, किसानों के आधार कार्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं थे।

उनके रकबे के नंबर बदल गए। भूमि बटान के कारण जमीनें पिता की जगह पुत्रों के पास चली गईं। यह सारी जानकारी नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल (एनसीआईपी) में अपडेट नहीं थी। नतीजतन आंकड़े मिस मैच हुए। किसानों ने तो प्रीमियम दिया, लेकिन वह जमा नहीं हो सका।

इसके लिए बैंक जिम्मेदार नहीं

एसएलबीसी ने अपने एजेंडे में इन किसानों का बीमा प्रीमियम एनसीआईपी के पोर्टल मे जमा न होने की बात कही थी। इसमें डेटा मिस मैच की समस्या आई। इसलिए पोर्टल किसानों की पहचान करके प्रीमियम नहीं ले रहा था। इसमें बैंकों की जिम्मेदारी कैसे बनती है। वे तो केवल सरकार और किसानों को सुविधा देने का काम कर रहे हैं। - एसडी माहुरकर, समन्वयक, एसएलबीसी, मप्र
तीन माह एक-दूसरे पर दोष मढ़ते रहे बैंक-सरकार

तीन माह तक बैंक और सरकार के बीच बैठकें हुईं। 28 दिसंबर 2020 की बैठक में कृषि मंत्री कमल पटेल ने स्पष्ट कह दिया कि समय पर प्रीमियम जमा करना बैंकों की जिम्मेदारी थी। इसलिए किसानों को जो भी नुकसान होगा। उसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे। वे ही भरपाई करें।
बैंकों का तर्क था कि वे सिर्फ किसानों से प्रीमियम लेकर उसे सरकारी पोर्टल पर डालते हैं। वे सिर्फ सुविधा प्रदाता हैं। यह गड़बड़ी डेटा मिसमैच की वजह से हुई है। इसके लिए सरकार के भू राजस्व से जुड़े अधिकारी जिम्मेदार हैं। वे बैंकों को जिम्मेदार कैसे ठहरा सकते हैं।
छह दिन पहले ही प्रीमियम जमा हुआ, लेकिन नहीं पता कि कितने किसानों को मुआवजा मिलेगा अंतत: इसी साल 10 मार्च को केंद्र सरकार के फसल बीमा पोर्टल एनसीआईपी पर बैंक ने प्रीमियम जमा कर दिया गया है। लेकिन, इसके बाद कितने किसानों को फसल बीमा मिलेगा और कितने को नहीं। इसलिए किसान आज भी परेशान हैं।

यूं समझें बीमित किसानों का गणित...
35 लाख किसान मप्र में बीमा से जुड़े हैं
22 लाख किसानों की फसल खराब हुई थी
150 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन लगी थी
60 लाख हेक्टेयर में खराब हो गई थी
2800 से 3000 रुपए थी औसतन हर हेक्टेयर का प्रीमियम बीमा राशि
400 से 500 रुपए प्रति हेक्टेयर किसानों के खाते से कटे। शेष केंद्र सरकार देगी।