बीते साल 1 लाख 9 हजार और इस बार किसानों ने कराए 1 लाख 32 हजार पंजीयन
समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए इस बार बहुत अधिक संख्या में किसानों ने पंजीयन कराया है। ऐसा इसलिए कि शासन ने सिकमी किसानों के लिए पंजीयन का रकबा 5 हेक्टेयर तय कर दिया। इससे अधिक रकबे का पंजीयन ही नहीं किया गया। इससे पहले एक सिकमी किसान कितने भी रकबे का पंजीयन करा सकता था। बीते साल की तुलना में इस बार जिले में 23667 पंजीयन अधिक हुए हैं। जबकि बीते साल 2020-21 में जिले में किसानों ने कुल 1 लाख 9 हजार 148 किसानों ने अपने पंजीयन कराए थे, जबकि इस बार आखिरी दिन भी किसानों की पंजीयन के केंद्रों पर भीड़ लगी रही।
पंजीयन की आखिरी तारीख 25 फरवरी को शाम 6 बजे तक जिले के किसान 1 लाख 32 हजार 815 पंजीयन करा चुके हैं। जो कि बीते साल की तुलना में इतना अधिक है। जिले में इस बार 25 जनवरी से पंजीयन शुरु हो गए थे। गेहूं के लिए 20 फरवरी और चना, मसूर के लिए पंजीयन की आखिरी तारीख 25 फरवरी रखी गई थी। हालांकि, बाद शासन स्तर से गेहूं के लिए भी पंजीयन की तारीख बढ़ाकर 25 फरवरी कर दी गई। इसके बाद बचे हुए किसान अंतिम समय तक पंजीयन कराते रहे।
रकबे और पंजीयन का अलग- अलग गणित
गेहूं की रकबा घटा फिर भी पंजीयन बढ़े : जिले में बीते साल 2 लाख 87 हजार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बोवनी की गई थी। जबकि इस बार 7 हजार हेक्टेयर कम हो गया। इसके बावजूद इस बार 83 हजार 110 पंजीयन कराए गए हैं। जबकि बीते साल बीते साल किसानों ने 69 हजार 373 पंजीयन कराए थे।
चना का रकबा भी बढ़ा और पंजीयन भी : इस बार जिले में चने का रकबा करीब 4 हजार हेक्टयेर बढ़ा है। इसलिए समर्थन मूल्य पर चना बेचने के लिए बीते साल साल 32 हजार 8 पंजीयन कराए गए थे। इस बार 39223 पंजीयन कराए गए हैं ।
मसूर का भी रकबा और पंजीयन दोनों बढ़े : चने जैसी स्थिति ही मसूर की है। इस बर जिले में मसूर का रकबा करीब 8 हजार हेक्टेयर बढ़ा है। इसी तरह पंजीयनों की संख्या बढ़ी है। इस बार 31 हजार हेक्टेयर रकबे में मसूर की बोवनी की गई है। बीते साल मसूर के लिए 7 हजार 746 पंजीयन कराया था। इस बार 10 हजार 446 पंजीयन कराए गए हैं।
इस तरह रहा बोवनी का रकबा
गेहूं - 287.34 चना- 110.30 मसूर-23.60 कुल रकबा- 426.88 रकबा- 2021 गेहूं- 280.92 चना-114.25 मसूर-31.31
पंजीयन - वर्ष 2021- 22
गेहूं- 83110
चना- 39223
मसूर- 10446
सरसों- 36
कुल- 1 लाख 32 हजार 815
गेहूं - 69373
चना- 32008
मसूर- 7746
सरसों- 21
कुल- 1लाख 9हजार148
परेशान हो रहे किसान
शहर के एक पंजीयन केंद्र पर सुबह 10 बजे से किसान पहुंच गए। सुबह से बैठे हुए गोपालपुर में रहने वाले 70 वर्षीय किसान जीवनसिंह विश्वकर्मा ने बताया कि वे बुधवार को सुबह 10 बजे आए तो पंजीयन नहीं हो पाया। दूसरे दिन फिर गुरुवार को आए हैं 18वां नंबर मिला है। पता नहीं पंजीयन हो पाएगा या नहीं।
इस बार सिकमी किसानों के पंजीयन को लेकर बदलाव किया गया है । 5 हेक्टेयर तक का रकबा ही एक सिकमी किसान पंजीयन करा सकता है । जबकि इससे पहले रकबे की सीमा तह नहीं थी। इसलिए पंजीयनों की संख्या बढ़ी है।
अजय पटेल, तहसीलदार रायसेन
इस तरह से समझे पंजीयनों में बढ़ोतरी का गणित
पहले बंटाई दार किसानों (सिकमी) को पंजीयन कराने के लिए रकबा तय नहीं था। इसलिए वे कितनी भी जमीन में बोई गई फसल को पंजीयन एक नाम पर भी कराया सकते थे, लेकिन इस बार नियम बदलकर रकबा महज 5 हेक्टेयर तय कर दिया गया। यानि एक बटाईदार किसान महज अपने नाम से 5 हेक्टेयर रकबे में बोई गई उपज का ही पंजीयन करा सकता है। इसलिए 5 हेक्टेयर से अधिक सिकमी जमीन पर किसानों ने अपने परिजनों के नाम पर पंजीयन कराए हैं इसलिए पंजीयनों की संख्या में इस साल अधिक बढ़ोतरी हुई है।
एमएसपी पर गेहूं 1975 और चना 5100 रुपए प्रति क्विंटल बिकेगा
किसानों ने बीते साल एमएसपी पर गेहूं 1925 रुपए प्रति क्विंटल और चना 4857 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बेचा था। इस बार केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी 50 रुपए बढ़ाकर 1975 रुपए प्रति क्विंटल और चने की एमएसपी में 225 रुपए की बढ़ोतरी कर 5100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी की जाएगी।